मधुश्रावणी बीनी – Madhushravani bini
दोप दिपहर जाथु धरा । मोती-मानिक भरथु घरा ।।
नाग बढ़थु नागिन बढ़थु । पाँच बहिन बिसहरा बढ़थु ।।
बाल बसन्त भैया बढ़थु । डाढ़ी-खोढ़ी मौसी बढ़थु ।।
आशावरी पीसी बढ़थु । बासुकी राज नाग बढ़थु ।।
बासुकिनी माए बढ़थु । खोना-मोना मामा बढ़थु ।।
राही शब्द लए सूती । काँसा शब्द लए उठी ।।
होइत प्रात सोना कटोरामें दूध-भात खाइ ।।
साँझ सूती प्रात उठी, पटोर पहिरी कचोर ओढ़ी ।।
ब्रह्माक देल कोदारि, विष्णुक चाँछल बाट ।
भाग-भाग रे कीड़ा-मकोड़ा । ताही बाट आओताह ईश्वर महादेव,
पढ़ल गरुड़ के ढ़ाठ । आस्तिक, आस्तिक, गरुड़, गरुड ।।